वायु प्रदूषण

वायु प्रदूषण 101 को समझना

वायु प्रदूषण का अर्थ है वायु का दूषित होना। यह दूषित हवा में मौजूद प्रदूषकों के कारण होता है। ये प्रदूषक पार्टिकुलेट मैटर, गैस, भारी धातु हो सकते हैं। वायु प्रदूषकों की उत्पत्ति प्राकृतिक या मानव निर्मित हो सकती है।

पार्टिकुलेट मैटर

  •  पीएम 10
  •  पीएम 2.5

 

गैस

  •  सल्फर डाइऑक्साइड (SO2)
  •  नाइट्रोजन डाइऑक्साइड (NO2)
  •  नाइट्रोजन ऑक्साइड (NOx)
  •  कार्बन मोनोऑक्साइड (CO)
  •  कार्बन डाइऑक्साइड (CO2)
  •  वाष्पशील कार्बनिक यौगिक (VOCs)
 
 

भारी धातु

  •  कैडमियम
  •  लेड
  •  मरकरी
  •  क्रोमियम
  •  जिंक
  •  कोबाल्ट
 

वायु गुणवत्ता सूचकांक- AQI

वायु गुणवत्ता सूचकांक एक सूचि है जो एक ही संख्या में वायु गुणवत्ता को दर्शाता है।
AQI वायु गुणवत्ता वाले 6 कलर कोडेड श्रेणी को दर्शाता है जो विभिन्न स्वास्थ्य प्रभावों से जुड़े हैं।

 

0-50 अच्छा

न्यूनतम प्रभाव

51-100 संतोषजनक

संवेदनशील लोगों को सांस लेने में थोड़ी तकलीफ

101-200 मध्यम

फेफड़ों, अस्थमा और दिल की बीमारियों से ग्रसित लोगों को सांस लेने में तकलीफ

201-300 खराब

लंबे समय तक बाहर रहने पर ज्यादातर लोगों को सांस लेने में तकलीफ

301-400 बहुत खराब

लंबे समय तक बाहर रहने पर सांस की बीमारी

401-500 गंभीर

स्वस्थ लोगों को प्रभावित करता है और लंबे समय से बीमारियों से ग्रसित लोगों को गंभीर रूप से प्रभावित करता है

वायु प्रदूषण दो प्रकार का होता है: बाहरी और आंतरिक वायु प्रदूषण


 

बाहरी वायु प्रदूषण

बाहरी वायु प्रदूषण को परिवेश वायु प्रदूषण के रूप में भी जाना जाता है । यह प्रदूषण कारों, ट्रकों, उद्योगों, निर्माण स्थलों और कई अन्य गतिविधियों के उत्सर्जन के कारण होता है। ये उत्सर्जित प्रदूषक हमारे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं। सभी प्रदूषकों में से, फाइन पार्टिकुलेट मैटर सबसे हानिकारक है। कोयला ,डीजल, पेट्रोल के जलने, वाहनों, बिजली संयंत्रों, उद्योगों और बायोमास के जलने से बहुत सारे सूक्ष्म कण निकलते हैं।
 

सामान्य बाहरी वायु प्रदूषक:

कणिका तत्व

  • PM10: 10 माइक्रोन व्यास वाले कण। ये मुख्य रूप से धूल के कण होते हैं जो नाक और गले से गुजर सकते हैं और फेफड़ों में प्रवेश कर सकते हैं।
  • PM2.5: 2.5 माइक्रोन या उससे कम व्यास वाले कण। ये कण हमारे फेफड़ों और रक्तप्रवाह में गहराई से प्रवेश करते हैं।

गैसीय

  • सल्फर डाइऑक्साइड (SO2): यह गैस रंगहीन होती है और इसमें तेज गंध होती है। यह कोयला, पेट्रोल, डीजल, आदि के जलने से बनता है।
  • नाइट्रोजन ऑक्साइड (NO2): यह कोयला, पेट्रोल, डीजल और प्राकृतिक गैस के जलने से बनता है। NOx SO2 के साथ मिलकर अम्लीय वर्षा (एसिड रेन) बनाता है।
  • कार्बन मोनोऑक्साइड (CO): इसका निर्माण कोयला, पेट्रोल, डीजल, लकड़ी, प्राकृतिक गैस आदि के अधूरे जलने के दौरान होता है।
  • ओजोन (O3): जमीनी स्तर पर ओजोन हमारे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है। यह कारों, बिजली संयंत्रों, रासायनिक संयंत्रों, आदि द्वारा उत्सर्जित होता है।
  • वाष्पशील कार्बनिक यौगिक (VOCs): वीओसी पेट्रोल, डीजल और कोयले के जलने से उत्पन्न होते हैं। यह glues, ड्राई क्लीनिंग उत्पादों से भी निकलता हैं।

आंतरिक वायु प्रदूषण

आंतरिक वायु प्रदूषण को घरेलू वायु प्रदूषण भी कहते हैं। इसका अर्थ घरों, इमारतों और कार्य क्षेत्रों के अंदर हवा का दूषित होना है। चुल्हा, धूल, धुआँ आदि का योगदान घरेलू वायु प्रदूषण में हैं। आंतरिक वायु प्रदूषण भी बाहरी वायु प्रदूषण की तरह सामान रूप से या उससे अधिक हानिकारक है।

सामान्य आंतरिक वायु प्रदूषक:
  • पार्टिकुलेट मैटर: पार्टिकुलेट मैटर का सबसे बड़ा योगदान बाहर की हवा में है। अन्य आंतरिक स्रोतों में हीटर, चूल्हा, लकड़ी जलाना आदि शामिल हो सकते हैं।
  • तंबाकू: धूम्रपान और तम्बाकू आंतरिक वायु प्रदूषण में योगदान देता है । यह कैंसर और दिल के दौरे के जोखिम को भी बढ़ाता है।
  • चूल्हा: खाना पकाने के लिए लकड़ी, गाय का गोबर (उपले ) और फसल के कचरे को जलाने से होने वाला धुआँ बहुत हानिकारक होता है क्योंकि इससे श्वसन संबंधी बीमारियाँ और फेफड़ों में संक्रमण हो जाता है।
  • धूल: धूल के बारीक कण हमारी नाक, गले और फेफड़ों में प्रवेश कर सकते हैं जो हमारे स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकते हैं। धूल बैक्टीरिया और वायरस के लिए एक वाहक के रूप में भी कार्य करता है।

दिल्ली – एनसीआर में प्रदूषण

दिल्ली-एनसीआर में और आसपास विभिन्न स्रोतों के कारण खराब हवा की गुणवत्ता है:

  •  वाहन उत्सर्जन
  •  निर्माण और सड़क की धूल
  •  ईंटों का भट्ठा
  •  कोयला चालित विद्युत संयंत्र
  •  चारा जलाना
  •  उद्योग उत्सर्जन
  •  दिवाली के दौरान पटाखे फोड़ना
  •  सर्द मौसम और धीमी हवाएं

 

 

आई क्यू एयर वर्ल्ड एयर क्वालिटी रिपोर्ट 2019 के अनुसार:

  • दिल्ली को लगातार दो साल में दुनिया का सबसे प्रदूषित राजधानी पाया गया।
  • अध्ययन के दौरान पाया गया कि दिल्ली में WHO के दिशानिर्देशों द्वारा सुरक्षित माना जाने वाला PM2.5 वार्षिक औसत स्तरों का 10 गुना था।
  • दिल्ली पूरे भारत में खराब वायु गुणवत्ता के दिनों की अधिकतम संख्या का अनुभव करता है।